इल्म सीखना हो तो किसी
आलिम को उस्ताद बना लेना
ग़र शौक शायरी का हो तो किसी
बेवफ़ा से दिल लगा लेना
अंग्रेजी काफ़ी है इज़्हार-ए-इश्क़ में
जज़्बातो को बयां करने के लिए
मगर दर्दे हिज्र को बयां करना हो तो
उर्दू के अल्फाज़ो को सहारा बना लेना
By -Shaan-E-Azam Dehelvi
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