Friday 9 October 2020

Shayari By Shaan-E-Azam Dehelvi

 जो तू सीने में दफ़ना ले मुझको 

तो तुझपे मरने को भी तैयार हूँ


आशिक़ी की हर एक हद से 

गुज़रने को भी मैं तैयार हूँ ...


ज़माने के डर से नाम लेना छोड़ दूँ 

ये तो मेरी आशिक़ी की तोहीन होगी


अगर तेरी भी इजाज़त न हो तो 

मैं यकतरफ़ा इश्क़ करने को तैयार हूँ...


मोहब्बत की क़ीमत क्या चुकानी है 

इन बातों से डराना बंद करो मुझे 


तुम शायद भूल गए मुझको  

मैं महँगी चीज़ो का ही ख़रीददार हूँ...


By -Shaan E Azam Dehelvi

#shaan_e_shayari 


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