Tuesday 13 October 2020

Khud bikhar kar unko sanwara hai humne by Shaan-E-Shayari ,Shaane Azam Dehelvi


 ख़ुद बिखर कर उनको संवारा है हमने 

जीती हुई बाज़ियो को भी हारा है हमने 


वक़्त ग़वाह है तारीखों से पूछलो 

फ़रिश्ते ख़ामोश है तो ख़ुदा से पूछलो 


मेरी ज़िद्द के आगे टिक पाता 

इतनी रक़ीब की औकात न थी 


मैं झुका था अपनी मोहब्बत की ख़ातिर 

मोहब्बत ग़वाह है ,मेरे महबूब से पूछलो 


उसके क़ुबूल बोल देने से निकाह हो जाता है 

तो मुझे उसने तुमसे पहले क़ुबूल कर लिया था 


ये सेहरा उतार दो तुम्हारा निक़ाह जायज़ नहीं 

यक़ीन नहीं है जाओ किसी क़ाज़ी से पूछलो 


महज़ हासिल कर लेना ही मोहब्बत होती 

तो रांझे ,मजनू को ज़माना याद न करता 


मोहब्बत सच्ची हो तो दर्द  लाज़मी है 

इस बात का इल्म नहीं तो शायरो से पूछलो 


ख़ुशक़िस्मत हो जो समझते नहीं कलाम मेरा 

होना पड़ता है बर्बाद मायने जानने के लिए 


थोड़ी क़ोशिश तो करो अल्फाज़ो को समझने की 

समझ न आये तो किसी बर्बाद आशिक़ से पूछलो 


By Shaan E Azam Dehelvi Ansari


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