कुरेद कर अपने ज़ख्मो को
ताज़ा कर देता हूँ
ज़ख्म तो भर जाते पर
मैं भरने नहीं देता हूँ
ये मरहम बेचने वाले
नमक लिए फिरते है
मौक़े की तलाश में है पर
मैं सबको मौका नहीं देता हूँ
दर्द होगा तभी तो चीख़ें निकलेंगी
यही सोचकर दर्द को बढ़ने देता हूँ
जिसने ज़ख्म दिए है मरहम वही लगाएगा
उसके इंतज़ार में दर्द बर्दाश कर लेता हूँ
By : Shaan-E-Azam Dehlvi
#shaan_e_shayari