Sunday 31 May 2020


कुरेद कर अपने ज़ख्मो को 
ताज़ा कर देता  हूँ 

ज़ख्म तो भर जाते पर 
मैं भरने नहीं देता हूँ 

ये मरहम बेचने वाले 
नमक लिए फिरते है 

मौक़े की तलाश में है पर 
मैं सबको मौका नहीं देता हूँ 

दर्द होगा तभी तो चीख़ें निकलेंगी 
यही सोचकर दर्द को बढ़ने देता हूँ 

जिसने ज़ख्म दिए है मरहम वही लगाएगा 
उसके इंतज़ार में दर्द बर्दाश कर लेता हूँ 

By : Shaan-E-Azam Dehlvi


#shaan_e_shayari






No comments:

Post a Comment